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Navgrah Snan Aoshdi
नवग्रह स्नान औषधि से ग्रह शांति
(स्नान करने से गृह-शांति)
मेरुतंत्र में कुछ जड़ी-बूटियों, फलों व वनस्पतियों आदि के द्वारा स्नान करने का तांत्रिक प्रयोग ग्रहों की शांति के लिए बताया गया है।
सूर्य की प्रसन्नता के कनेर, दुपहरिया, नागरमोथा, देवदारु, मैनसिल, केशर, इलायची, पदमाख, महुआ के फूल, सुगंध वाला के चूर्ण को जल में मिलकर स्नान करे।
चन्द्रमा की प्रसन्नता के लिए पंचगव्य, चांदी, मोती, शंख, सीप और कुमुद को पानी में डालकर उससे स्नान करें।
मंगल की प्रसन्नता के लिए लाल-चन्दन, सौंफ, सिंगरफ, मालकानी और मौलसरी के फूल मिलकर स्नान करें।
बुध की प्रसन्नता के लिए हरड़, बहेड़ा, गोयय, अक्षत, गोरोचन, स्वर्ण, आंवले और मधु को मिलकर स्नान करें।
गुरु की प्रसन्नता के लिए सरसों और मालती के पुष्पों को जल में मिलकर स्नान करें।
शुक्र की प्रसन्नता के लिए इलायची, केशर, मैनसिल, मृल सहित हरड़, बहेड़ा और आंवले को जल में मिलकर स्नान करें।
शनि की प्रसन्नता के लिए सुरमा, काले-तिल, सौंफ, नागरमोथा और लौंध मिले हुए जल से स्नान करना चाहिए।
केतु की प्रसन्नता के लिए सहदेई, लज्जालु, बला, मोथा और प्रियंगु-हिगोंठ से मिश्रित जल द्वारा स्नान करना चाहिए।
- सूर्य
- चंद्र
- मंगल
- बुध
- गुरु
- शुक्र
- शनि
- केतु
नवग्रहों के लिए
लाजवंती, छुईमुई, कूट, खिल्ला, कंगनी, जव-सरसों, देवदारु, हल्दी, सर्वोवधि तथा लौंग इन सबको मिलकर तीर्थ के जल सहित नित्य प्रातः स्नान करने से ग्रहों की शांति और सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।
यथा सिद्धौमघे रोगा नश्येयुर्मन्त्रतो भयम।
तथा स्नान-विधानेन ग्रहदोषः प्रणश्यति।।
जिस प्रकार सिद्ध औषधियों के सेवन से सभी प्रकार के रोग नष्ट हो जाते है तथा मंत्र द्वारा भय का नाश होता है, उसी प्रकार उपयुक्त विधि से स्नान करने पर ग्रहों का दोष नष्ट हो जाता है।