भावों के अनुसार ग्रहों द्वारा होने वाली बीमारी की जानकारी

भावों के अनुसार ग्रहों द्वारा होने वाली बीमारी की जानकारी
9 August, 2023
भावों के अनुसार ग्रहों द्वारा होने वाली बीमारी की जानकारी

भावों के अनुसार ग्रहों द्वारा होने वाली बीमारी की जानकारी 


  • प्रथम भाव में केतू यदि शनि के साथ स्थित हो तो जातक की मृत्यु निश्चय ही सेरेब्रल थ्रम्बोसिस या ब्रेन हैमरेज से होती है।
  • दूसरे भाव में केतू यदि गुरू और चन्द्र के साथ स्थित हो तो जातक की मृत्यु गले या मुंह के कैंसर से होती है।
  • तृतीय भाव में सिंह राशि में मंगल के साथ केतू स्थित हो तो उसकी मृत्यु फांसी लगने से होती है। सिंह राशि केतू की शत्रु राशि है क्योंकि राहू और केतू, सूर्य एवं चन्द्र को ग्रसित कर लेते हैं। केतू की कर्क या सिंह राशि में स्थिति अच्छे फल नहीं देती है।
  • चतुर्थ भाव मे केतू यदि गुरू और चन्द्र के साथ स्थित हो तो जातक की मृत्यु छाती के कैंसर से होती है क्योंकि चतुर्थ भाव का स्वामित्व फेंफड़ों और छाती पर है। रबीन्द्र नाथ टैगोर की मृत्यु हार्ट अटैक से हुई क्योंकि उनकी कुण्डली में चतुर्थ भाव में केतू के साथ मंगल स्थित है।
  • पंचम भाव मे केतू यदि किन्हीं दो अन्य दुष्ट ग्रहों के साथ स्थित हो तो उसकी मृत्यु ज़िगर या पेट की किसी गम्भीर बीमारी से होती है।
  • छठे भाव में केतू यदि किन्हीं अन्य दो दुष्ट ग्रहों से पीड़ित हो तो उसकी मृत्यु किड़नी की बीमारी से होती है।
  • सप्तम भाव में केतू यदि अन्य दो दुष्ट ग्रहों के साथ स्थित हो तो उसकी मृत्यु ज्ञानेन्द्रियों की बीमारी,प्रोस्टेट ग्लेंड अथवा ज्ञानेन्द्रियों के रोग से होती है।
  • अष्टम भाव में केतू यदि मंगल के साथ वृश्चिक, मकर अथवा कुम्भ राशि में स्थित हो तो उसकी हत्या होती है या वह आत्म हत्या करता है।
  • नवम भाव मे केतू यदि अन्य दो दुष्ट ग्रहों के साथ स्थित हो तो उसकी मृत्यु अर्थराइटिस या पक्षाघात से होती है।
  • दशम भाव मे केतू यदि अन्य दो दुष्ट ग्रहों के साथ स्थित हो तो उसकी मृत्यु कूल्हे की हड्डी टूटने, गोली या हार्ट अटैक से होती है।
  • एकादश भाव में केतू यदि अन्य दो दुष्ट ग्रहों के साथ स्थित हो तो उसकी मृत्यु भी कूल्हे की हड्डी टूटने या किसी गम्भीर पेट की बीमारी से होती है।
  • बारहवें भाव मे केतू यदि अन्य दो दुष्ट ग्रहों के साथ स्थित हो तो उसकी मृत्यु भी कूल्हे की हड्डी टूटने से या जेल में होती है। केतू मिथुन राशि में नीच का होता है तथा मिथुन राशि मे यह बुरे फल प्रदान करता है। केतू सिंह राशि में भयावह हो जाता है। यदि यह भाव 3, 6, 8 या 12 हों तो जातक के दुर्भाग्य का क्या कहना। ऐसा जातक दमा,प्लूरिसी या दिल का मरीज़ होता है। केतू की मिथुन राशि में स्थिति से यह दोष भी उत्पन्न होता है कि वह मालिक के पैसे के हेरफेर में सजा भी पाता है, वह धनहीन, नीच तथा जीवन में अनेक कठिनाइयों को आमन्त्रण देता है।

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