कृष्णामूर्ति पद्धति ज्योतिष में कुंडली मिलान कैसे करते है?

कृष्णामूर्ति पद्धति ज्योतिष में कुंडली मिलान कैसे करते है?
24 November, 2019
कृष्णामूर्ति पद्धति ज्योतिष में कुंडली मिलान कैसे करते है?

कृष्णामूर्ति पद्धति ज्योतिष में कुंडली मिलान कैसे करते है?
 सप्तम भाव का राशि स्वामी, नक्षत्र स्वामी व उपनक्षत्र स्वामी एक दूसरे के जन्म के शासक ग्रह होने चाहिए।
 कन्या की कुण्डली में सप्तम भाव का राशि स्वामी मंगल,नक्षत्र स्वामी शनि व उपनक्षत्र स्वामी गुरू है।
ज्योतिषी लोग केवल गुण मिलाकर कह देते है कि गुण पर्याप्त है और विवाह किया जा सकता है| लेकिन उन दो कुंडलियों के बीच विवाह होगा या नही, यह नही बताया जा सकता | गुण मिलाकर शादी के बारे मे कतई उचित नही है| यह तो ऐसे ही है कि किसी गाय के बछड़े के जन्म की कुंडली मिलाकर यदि छतीस मे से तीस गुण मिल रहे है तो क्या उससे शादी हो जाएगी| कतई नही|
ज्योतिष मे कुंडली निर्माण को महत्वपूर्ण मानकर अनेक दिशा निर्देश दिये गए है और भावी वर-वधु के कुंडली मिलाने के कई सूत्र भी बताए गए है| सामान्य तौर पर कुंडली मिलाने मे अष्टकूट गुण मिलान और मांगलिक मिलान का विचार किया जाता है| इन दोनों प्रकार के मिलान मे वर-वधु के भावी जीवन पर एक दूसरे ग्रह के पड़ने वाले असर का आंकलन किया जाता है| पारंपरिक ज्योतिष मे यह विवरण नही मिलता कि प्रस्तुत वर-वधु कि कुंडलियों के मिलान मे दोनों का विवाह होना संभव है कि नही|
कृष्णमूर्ति ज्योतिष का सिद्धान्त इस मामले मे सटीक और चमत्कारिक है| यदि एक लड़के और सौ लड़कियो की कुंडलियाँ है, तो यह बताया जा सकता है कि वास्तव मे उनमे किस लड़की के साथ उसका विवाह होगा अथवा होगा भी या नही और होगा तो कब होगा|
यदि लड़के की जन्म कुंडली के शासक ग्रह लड़की की वर्तमान दशा, अंतर व प्रत्यंतर से मेल खाते हो और लड़की के जन्म के शासक ग्रह लड़के की कुंडली के दशा-अंतर-प्रत्यंतर से मेल खा रहे हो तो उनके मध्य विवाह अवश्य होगा| यदि यह सूत्र नही मिल रहा है अथवा यह मिलान नही हो रहा है तो उनके बीच कदापि विवाह नही होगा इस अवस्था को उदाहरण से समझते है|
जैसे- लड़के की जन्म कुंडली के शासक ग्रह-
• जन्म दिन स्वामी – शनि
• चंद्र राशि स्वामी – मंगल
• चंद्र नक्षत्र स्वामी – शनि
• लग्न स्वामी – गुरु
• लग्न नक्षत्र स्वामी – शनि
• महादशा स्वामी – शुक्र
• अंतर्दशा स्वामी – चंद्र
• प्रत्यंतर दशा स्वामी – मंगल
लड़की की जन्म कुंडली के शासक ग्रह-
• जन्म दिन स्वामी – शुक्र
• चंद्र राशि स्वामी – शुक्र
• चंद्र नक्षत्र स्वामी – चंद्र
• लग्न स्वामी – मंगल
• लग्न नक्षत्र स्वामी – केतू
• महादशा स्वामी – गुरु
• अंतर्दशा स्वामी – शनि
• प्रत्यंतर दशा स्वामी – शनि
जन्म कुंडली के मिलान के लिए आई कुंडलियों मे निम्न विवरण देख लेना चाहिए|
इन दोनों कुंडलियों मे शासक ग्रह व महादशा अंतर का बताया सूत्र पूरी तरह लागू होता है| लड़के की कुंडली के जो शासक ग्रह है, वही लड़की की महादशा व अंतर के स्वामी है| लड़की के शासक ग्रह की दशाएँ लड़के की कुंडली मे चल रहे है| इससे निश्चित है कि इन दोनों का विवाह होना निश्चित है| इस प्रकार यदि एक साथ कई कुंडली मिलान के लिए आयें और उनमे मिलान पूरी तरह सर्वश्रेष्ठ हो, फिर भी कृष्णमूर्ति पद्धति के उक्त सूत्र से जाना जा सकता है कि वास्तव मे किसकी शादी किससे होगी और कब होगी|

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