ज्योतिष में राशियों का ज्ञान

ज्योतिष में राशियों का ज्ञान
1 August, 2023
ज्योतिष में राशियों का ज्ञान

मेष राशी

यह राशी पुरुष जाति लाल-पीले वर्ण वाली, कांन्ति हीन क्षत्रिय वर्ण वाली पूर्व दिशा की स्वामिनी, अग्नि तत्व वाली, चर संज्ञक समान अंगों वाली अल्प संतति वान तथा पित्त प्रकृति वाली है। इसका स्वभाव अहंकारी साहसी तथा मित्रों के प्रति दयालुता है। इसके द्वारा शिरा, मस्तक, पित्त एवं जीवनी शक्ति के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।


वृष-राशी

यह राशी स्त्री जाति श्वेत वर्ण कान्ति हीन, वैश्य वर्ण, दक्षिण दिशा की स्वामिनी, भूमि तत्व वाली स्थिर संज्ञक, शिथिल शरीर, शुभ कारक तथा महा शब्दकारी है, इसका स्वभाव स्वार्थी, सांसारिक कार्यो में दक्षता, तथा बुद्धिमता से काम लेने का है। इसे अर्द्धजल राशी माना जाता है। इसके द्वारा मुह कपालों नेत्र आंत एवं कण्ठनली के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।


मिथुन-राशी

यह राशि पुरुष जाति, हन्ति वर्ण, चिकनी, शूद्र वर्ण, पश्चिम दिशा की स्वामिनी, वायु तत्व वाली उष्ण महाशब्दकारी, मध्यम संतति, शिथिल शरीर वाली तथा विषमोदयी है इसका स्वभाव शिल्पी तथा विद्याध्यनी है इसके द्वारा कण्ठ, कन्धों बाजुओं तथा रक्त श्वास नलियों के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।


कर्क-राशी

यह राशि स्त्री जाति की, रक्त धवल मिश्रित वर्ण, जलचारी, उत्तर दिशा की स्वामिनी, सौम्य तथा कफ प्रकृति वाली, बहु-संतति एवं चरण वाली रात्रि बली तथा समोदयी है इसका स्वभाव लज्जा सांसारिक उन्नति के लिए प्रयत्नयील रहना तथा समयानुसार चलना है। इसके द्वारा वक्षःस्थल एवं फेंफड़ों के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।


सिंह-राशी

यह राशि पुरुष जाति, पीत वर्ण, क्षत्रिय वर्ण, पूर्व दिशा की स्वामिनी, पित्त प्रकृति, अग्नि तत्व वाली, उष्ण स्वभाव वाली, पुष्ट-शरीर, यात्रा प्रिय, अल्प संतति वान तथा निर्जल है। इसका स्वभाव मेष राशी जैसा है परन्तु इसमें उदारता अधिक पाई जाती है। इसके द्वारा ह्यदय पीठ एवं मेरुदण्ड़ के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।


कन्या-राशि

यह राशि स्त्री जाति, पिंगल वर्ण, द्विस्वभाव, दक्षिण दिशा की स्वामिनी, वायु तत्व तथा शीत प्रकृति पृथ्वी तत्व वाली, रात्रि बली तथा अल्प संतति वाली है। इसका स्वभाव मिथुन राशी जैसा है परन्तु यह अपनी उन्नति एवं सम्मान पर विशेष ध्यान देती है।इसके द्वारा पेट के बाह्य भाग तथा अन्तड़ियों के सम्बन्ध में विचार किया जाता है । 


तुला-राशी

यह राशि पुरुष जाति, श्याम वर्ण, चर संज्ञक, शूद्र वर्ण, पश्चिम दिशा की स्वामिनी, वायु तत्व वाली, दिनबली, क्रूर स्वभाव, शीर्षोदयी, अल्पसंततिवान तथा पाद जल राशि है। इसका स्वभाव ज्ञानप्रिय राजनीतिज्ञ विचारशील एवं कार्य-संपादक है। इसके द्वारा नाभि से नीचे के अंगों तथा गुर्दो के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।


वृश्चिक-राशि

यह राशि स्त्री जाति शुभ्र वर्ण, कफ प्रकृति, ब्राह्मण वर्ण, उत्तर दिशा की स्वामिनी, रात्रि बली, बहुसंततिवान तथा अर्द्धजल तत्व वाली राशी है। इसका स्वभाव हठी, दम्भी स्पष्ट वादी, दृढ़प्रतिज्ञ तथा निर्मल है। इसके द्वारा जन्नेन्द्रिय गुदा तथा गुदा के भीतरी भाग के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।


धनु-राशि

यह राशि पुरुष जाति, स्वर्ण-वर्ण, द्विस्वभाव, क्षत्रिय वर्ण, पूर्व दिशा की स्वामिनी, दिन बली, पित्त प्रकृति, अग्नि तत्व वाली, अल्प संततिवान, दृढ़ शरीर है। इसे अर्द्ध जल राशि माना गया है। इसका स्वभाव करुणामय, मर्यादाशील तथा अधिकार प्रिय है। इसके द्वारा पांवों की सन्धि, जंघाओं नितम्ब की स्नायुओं के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।


मकर- राशि

यह राशि स्त्री जाति, पिंगल वर्ण, रात्रि बली, वैश्य वर्ण, दक्षिण दिशा की स्वामिनी, पृथ्वी तत्व वाली, शिथिल शरीर, वात प्रकृति, इसका स्वभाव उच्च स्थिति का अभिलाषी है। पांवों के घुटनों के उपरी भाग (जांघ) तथा घुटनों के जोड़ की हड़डी के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।


कुम्भ-राशि

यह राशि पुरुष जाति, विचित्र वर्ण, वायु तत्व वाली, शूद्र वर्ण, त्रिदोष प्रकृति, पश्चिम दिशा की स्वामिनी, उष्ण स्वभाव, अर्द्ध जल, मध्यम संतति वाली, शीर्षोदयी, क्रूर तथा दिन बली है। इसका स्वभाव शान्त, विचारशील, धार्मिक तथा नवीन वस्तुओं का निर्माता या आविष्कारकर्ता है। इसके द्वारा कटोरी (घुटना), जांघ] जोड़ बन्ध हड़डी तथा नसों के सम्बन्ध में विचार किया जाता है। 


मीन-राशि

यह राशि स्त्री जाति पिंगल वर्ण जल तत्व वाली ब्राह्मण वर्ण, जल तत्व वाली, उत्तर दिशा की स्वामिनी, कफ प्रकृति तथा रात्रि बली है। इसका स्वभाव ईष्यालु, दानी तथा श्रेष्ठ है इसके द्वारा गुल्फ(पोरु) पांव उंगली जोड़ तथा नसों के सम्बन्ध में विचार किया जाता है।


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