शिक्षा

चतुर्थ भाव शिक्षा, मां, वाहन, जमीन, मकान, इत्यादि का परिचायक है। चतुर्थ भाव का चन्द्रमा से सम्बन्ध मां, शुक्र से वाहन, मंगल से मकान व जमीन और बुध से शिक्षा के विषय में आशय है। बुध-ज्योतिष, शिक्षा, बुद्धि, याददाश्त, वाणी, विश्लेषण की क्षमता, तर्क शक्ति, ऐजेन्ट, क्लर्क, पत्रों का आदान-प्रदान, समाचार-पत्र, विज्ञापन, प्रैैस, गणित, व्यापार आदि का कारक है।

शिक्षा के लिए बुध ही एकमात्र ग्रह नहीं है शुक्र, गुरु भी शिक्षा के द्योतक है अलग-अलग ग्रह भिन्न-भिन्न प्रकार की शिक्षा देते है जैसे- बुध गणित के लिए, गुरु कानूनी शिक्षा के लिए, सूर्य दवाओं के लिए, बुध और मंगल इंजीनियरिंग के लिए, गुरु और बुध पत्रिकारिता-लेखनकार्य के लिए, बुध और चन्द्र आड़िट के द्योतक है।

यही बात भावों के लिए भी सच है एक भाव अनेकानेक विषयों को बताता है और एक ही विषय अनेक भावों से आवश्यकतानुसार जाना जाता है। उदाहरणार्थ - दूसरा भाव वाणी का है यह वाक स्थान कहलाता है। प्राइमरी कक्षाओं में बच्चों को मौखिक सिखाया जाता है। चतुर्थ भाव जिसमें कक्षाओं में हाजिरी ली जाती है तथा स्कूल और कालेज होते है नवम भाव से विशेषतः उच्च शिक्षा जैसे- ड़ाक्टर, इन्जीनियर, एम. बी. ए., एम. सी. ए., इत्यादि, पंचम भाव से बुद्धि तथा दशम भाव से प्रोफेशनल शिक्षा का ज्ञान होता है। अतः शिक्षण प्रणाली में 2,4,5,9,10,11 भाव और इन भावों में बैठे ग्रह कुण्ड़ली में शैक्षिक विश्लेषण के लिए आवश्यक है शिक्षा के लिए न कारक भावों बैठे ग्रह जैसे-6,8,12 भावों को भी ठीक प्रकार से जांच कर लेना चाहिए क्योकि यह ग्रह शिक्षा में रोड़े, रुकावट पैदा कर सकते है यदि इन ग्रहों के नक्षत्र शिक्षा में मदद न करें ।

कुछ ग्रह शिक्षा में मददगार होते है जैसे-बुध, शुक्र, गुरु, चन्द्र। कुछ ग्रह शिक्षा में बाधक होते है जैसे-राहू, शनि, मंगल। शिक्षा के लिए ग्रहों और भावों के सम्बन्धों पर विचार करना अति आवश्यक है। ग्रह शिक्षा के कैसे भी कारक हो सकते है। वे शिक्षा के लिए 2,4,5,9,10,11 भावों के नक्षत्र में ग्रह हो सकते है। ग्रह माफिक भी हो जाते है यदि ग्रहों के उप नक्षत्र शिक्षा के लिए सहायक ग्रहों में हों। शिक्षा के लिए भावों के उपनक्षत्र उनकी स्थिति के अनुसार, नक्षत्रों के अनुसार तथा दृष्टियों के अनुसार ही फैसला करना चाहिए। शिक्षा के लिए ग्रहों की दशा अन्तर-दशा जो जातक की चल रही हो वह भी शिक्षा के लिए देख लेनीं चाहिए।

ग्रहों का स्वभाव, स्वामित्व, नक्षत्र, शिक्षण के भावों पर दृष्टि, ग्रहों के नक्षत्र से शिक्षा के प्रकार का अध्यन करना चाहिए। शिक्षा में सफलता उपनक्षत्रों की स्थिति, स्वामित्व, युति एवं दृष्टि 2,4,5,9,10,11 भावों पर उपनक्षत्रों के अनुसार ही देखनीं चाहिए।