ग्रहो का प्रभाव

14 May, 2018
ग्रहो का प्रभाव

ग्रहो का प्रभाव

हर इंसान के पास दिल दिमाग हाथ पैर और शरीर के हिस्से एक जैसे होते है शक्ल अलग अलग होती है भगवान् ने सबका शरीर एक समान बनाया है पर सबकी सोच अलग अलग है यही खेल ग्रहो का है हर इंसान की कुंडली में ग्रहो की स्थिति अलग अलग है कुछ लोग सात्विक है कुछ लोग तामसिक है जैसे गृह है वैसी ही उनकी सोच है 
दोस्तों यह सारा रेडीएशन का खेल है किरणों का गृह तो हमसे बहुत दूर है पर उनसे निकलने वाली ऊर्जा से हम प्रभावित रहते है और उनकी यह रेडीएशन ही हमें अच्छा या बुरा सोचने पर मजबूर करती है चंद्रमा की हर गृह का अपना एक रंग है और उनकी वही किरणे हमें प्रभावित करती है आप देखो हम बोलते है कुंडली में सूर्य शनि शत्रु है मतलब इनकी किरणों में मदभेद है आप बहुत गर्मी में जाते है तो आप आँखों पर काला चश्मा पहन लेते हो तो आँखों को राहत मिलती है क्योकि काला रंग गर्मी को सोख लेता है आप कार में काले रंग की फ़िल्म या शीशे चढ़ा लेते हो गर्मी कम हो जाती है कार में क्योकि यह रंग सूर्य के दुश्मन है काला और नीला शनि उसकी किरणों को रोक लेते है काले बादल सूर्य को ढक देते है और बारिश होती है इस तरह से यह सब ग्रहो की किरणों का खेल है
आपके पास मोबाइल है उसमे जो नेटवर्क आता है वो किरणों से आता है आपको सिग्नल मिलते है और मोबाइल काम करता है पर अपनों किरणे तो नहीं दिखाई दे रही पर आपका मोबाइल उनको लेकर काम कर रहा है

ऐसे ही हमारा मस्तिष्क एक फ़ोन समझो और यह गृह रेडीएशन है जो हमें एक सोच दे रही है अगर अच्छे ग्रहो की किरणे हमारे शरीर पर है अच्छा सोचते है बुरे ग्रहो की किरणे बुरा सोचते है

अगर किसी बुरे इंसान पर किसी डाकू चोर बदमाश पर अच्छे गृह की दशा आता है वो भी साधू बन जाता है जैसे गौतम बुध ने अंगुलिमार को ज्ञान दिया और वो साधू बन गया महर्षि वाल्मीकि पहले डाकू थे फिर बाद में ऋषि बन गये

इसके विपरीत अगर किसी अच्छे महान इंसान पर बुरे गृह की दशा आ जाये जो उसकी कुंडली में खराब है तो वो भी बुरी किरणों से प्रभावित होकर बुरे काम करने लगेगा जैसे बहुत सारे साधू संत के उदहरण आपके पास है में उनके नाम नहीं लूंगा आप उनके नाम से परिचित हो

आप एक एंटीना हो यह गृह सेटलाइट है उनकी किरणे अच्छी जब आपकी शरीर पर पड़ेगी तब आपको एक अच्छी सोच मिलेगी और आप आगे बढ़ोगे यह सारा खेल किरणों का है वो आपको एक सोच देते है

आप कितना महंगा ही मोबाइल क्यों न ले लो अगर उसमे नेटवर्क अच्छा नहीं आ रहा वो आपके लिए बेकार है
इस प्रकार शरीर का भी हाल है जब तक ग्रहो की रेडीएशन आपके शरीर पर अच्छी न पड़े आप न सोच सकते न कुछ कर सकते


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