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गायत्री मन्त्र
गायत्री मन्त्र श्रंखला:- (दुर्गा गायत्री)
- माला:- लाल चन्दन / रुद्राक्ष
- माला का रंग:- लाल
- आसन:- कम्बल / या ऊष्मा का कुचालक कोई भी कपडा
- आसन का रंग:- लाल
- जप समय:- सामान्य साधकों हेतु तीन संध्याएं विहित हैं जिसमे प्रथम ( सुबह ४:०० बजे से ०७:३० तक एवं ) द्वितीय संध्या ( पूर्वान्ह एवं अपरान्ह संधिकाल ११:०० से दोपहर १:३० बजे तक ) तृतीय संध्या ( सायंकाल ०४:३० से ०७:३० तक )
- जप संख्या:- ३ लाख
- न्यूनतम जप संख्या:- ३ माला प्रतिदिन
- जप प्रारम्भ करने का दिन:- कोई भी लग्न काल या फिर सोमवार या शुक्रवार
- मुख की दिशा:- पूर्व या उत्तर
गायत्री मन्त्र विधि
- माला:- तुलसी / चन्दन
- माला का रंग:- सफ़ेद
- आसन:- सुखासन
- आसन का रंग:- सफ़ेद किन्तु ऐसा जो कि ऊष्मा का कुचालक हो (जैसे कि रेशमी / कम्बल / कुश घास का / उपलब्धतानुसार)
- जप समय:- सामान्य साधकों हेतु तीन संध्याएं विहित हैं जिसमे प्रथम (सुबह ४:०० बजे से ०७:३० तक एवं) द्वितीय संध्या (पूर्वान्ह एवं अपरान्ह संधिकाल ११:०० से दोपहर १:३० बजे तक) तृतीय संध्या (सायंकाल ०४:३० से ०७:३० तक)
- जप संख्या:- ३ लाख
- न्यूनतम जप संख्या:- ३ माला प्रतिदिन
- जप प्रारम्भ करने का दिन:- कोई भी लग्न काल या फिर सोमवार,शुक्रवार या रविवार
- मुख की दिशा:- सुबह पूर्व एवं सायंकाल पश्चिम
गायत्री मंत्र
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् ।
- ॐ = प्रणव
- भूर = मनुष्य को प्राण प्रदाण करने वाला
- भुवः = दुख़ों का नाश करने वाला
- स्वः = सुख़ प्रदाण करने वाला
- तत = वह
- सवितुर = सूर्य की भांति उज्जवल
- वरेण्यं = सबसे उत्तम
- भर्गो = कर्मों का उद्धार करने वाला
- देवस्य = प्रभु
- धीमहि = आत्म चिंतन के योग्य
- धियो = बुद्धि
- यो = जो
- नः = हमारी
- प्रचोदयात् = हमें शक्ति दें