प्रश्न कुंडली से विदेश यात्रा का निर्णय

प्रश्न कुंडली से विदेश यात्रा का निर्णय
20 September, 2023
प्रश्न कुंडली से विदेश यात्रा का निर्णय

जन्मकुंडली का बारहवां भाव (विदेश यात्रा का कारक)

जन्मकुंडली का बारहवां भाव विदेश यात्रा से संबंधित होता है और इस वजह से दुख का भाव होने के बावजूद भी इस घर को सुअवसर के रूप में देखा जाता है। विदेश यात्रा के लिए चंद्रमा को नैसर्गिक कारक माना गया है। दशम भाव से आजीविका का पता चलता है। शनि ग्रह आजीविका के नैसर्गिक कारक होते हैं। विदेश गमन के लिए कुंडली में बारहवें भाव में चंद्रमा, दशम भाव और शनि की स्थिति का आंकलन किया जाता है।

प्रश्न कुंडली से विदेश यात्रा का निर्णय

  • यदि प्रश्न कुंडली के लग्न में चर राशि स्थित है और चर राशि ही नवांश के लग्न में हो या द्रेष्काण के लग्न में आती हो, तब व्यक्ति का प्रश्न विदेश से संबंधित हो सकता है|
  • यदि प्रश्न कुंडली का लग्नेश, आठवें या नवम भाव में स्थित हो तब भी विदेश से संबंधित प्रश्न हो सकता है और व्यक्ति जा सकता है।
  • प्रश्न कुंडली के लग्न, सातवें व नवम भाव में शुभ ग्रह प्रश्नकर्ता की इच्छा की पूर्ति बताते हैं तथा लग्न, सातवें व नवम भाव में पापी ग्रह प्रश्नकर्त्ता की विदेश यात्रा में परेशानियों का अनुभव बताते हैं।
  • प्रश्न कुंडली के आठवें भाव में शुभ ग्रह हों तब विदेश में पहुंचने पर व्यक्ति विशेष को लाभ मिलता है।
  • प्रश्न कुंडली के सातवें भाव में सूर्य स्थित हो तब व्यक्ति विदेश से शीघ्र वापस आएगा।
  • प्रश्न कुंडली के नवम भाव में मंगल स्थित हो तब विदेश यात्रा में व्यक्ति के सामान की हानि हो सकती है और यदि मंगल आठवें भाव में हो तब चोट अथवा दुर्घटना का भय रहता है।
  • प्रश्न कुंडली के सातवें भाव में मंगल स्थित हो तब व्यक्ति का स्वास्थ्य प्रभावित होने की संभावना बनती है।

विदेश यात्रा के योग

  • कुंडली के बारहवें भाव में चंद्रमा हो तो विदेश यात्रा के योग बनते हैं। ऐसी स्थिति में जातक विदेश से आजीविका पाता है।
  • कुंडली के छठे भाव में चंद्रमा हो तो भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
  • दशम भाव में चंद्रमा हो या इस घर पर शनि की दृष्टि पड़ रही हो तो भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
  • सातवें भाव या लग्न भाव में चंद्रमा की उपस्थिति भी विदेश से व्यापार का संकेत देती है।
  • शनि देव को आजीविका का कारक माना गया है। शनि और चंद्रमा की युति भी विदेश यात्रा करवाती है।
  • यदि जन्मकुंडली में दशमेश बारहवें भाव में होऔर बारहवें भाव का स्वामी दसवें भाव में हो तो भी विदेश यात्रा के योग बनते हैं और जातक को विदेश से आजीविका कमाने का मौका मिलता है।
  • यदि भाग्य का स्वामी बारहवें भाव में है या बारहवें भाव का स्वामी भाग्य स्थान में बैठा है तो जातक के विदेश यात्रा के योग बनते हैं।
  • भाग्य स्थान में बैठकर राहू भी विदेश यात्रा के योग का निर्माण करता है।
  • सप्तम भाव का स्वामी बारहवें भाव में हो या बारहवें भाव का स्वामी सप्तम भाव में बैठा हो तो विदेश यात्रा की संभावना बढ़ जाती है और जातक विदेश से व्यापार करता है।
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