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चार मुखी
यह ब्रह्मा जी का स्वरुप है और चार वेदों का द्योतक है| मनुष्य को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को प्रदान करने वाला है| इसको धारण करने से मानसिक रोग दूर होते है तथा मन में सात्विक विचार उत्पन्न होते है एवम धर्म में आस्था बढती है| यह रुद्राक्ष बुध का संचालक है और शिक्षा के क्षेत्र में सफलता दिलाता है| बुद्धि और ज्ञान की प्राप्ति तथा सभी प्रकार के मानसिक रोग दूर होते हैं| शारीरिक स्वास्थ्य उत्तम रहता है यह रुद्राक्ष सृजनशील व्यक्ति के लिए बहुत उपयोगी है| यदि कोई मंद बुद्धि हो तो उसे इस चार मुखी रुद्राक्ष को धारण कराएं इसे धारण करके व्यक्ति की बुद्धि भी तीव्र होती है तथा योग्यता का संचार होता है|
फायदे:-
- यह रुद्राक्ष डॉ इंजीनियर, अध्यापक आदि को भौतिक कार्य करने में सहायता प्रदान करता है|
- इसको धारण करने से व्यर्थ की चिंता नष्ट होती है तथा यह धर्म की ओर अग्रसर करता है और सफलता देता है|
- इस रुद्राक्ष को धारण करने से शिक्षा के क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है|
- उदर तथा गर्भाशय से रक्तचाप तथा ह्रदय रोग से संबंधित अनेक बीमारियों के लिए चार मुखी रुद्राक्ष के कुछ दाने मिटटी की हांडी में पानी में डाल कर भिगोए रखे प्रत्येक 24 घंटे पश्चात यह रुद्राक्ष का जल खाली पेट प्रातः काल पीने से अवश्य लाभ होगा| स्नायु तथा मानसिक रोगों से मुक्ति मिलती है| चार मुखी रुद्राक्ष बच्चों का दिमाग तेज करता है| स्मरण शक्ति को बढ़ाता है तथा विद्या अध्ययन करने की शक्ति प्रदान करता है|
मंत्र:- ॐ ह्रीं नम:| ॐ ब्रह्मणे नम:|
पहचान कैसे करे:-
- रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली होगा.
- रुद्राक्ष को काटने पर यदि उसके भीतर उतने ही घेर दिखाई दें जितने की बाहर हैं तो यह असली रुद्राक्ष होगा. यह परीक्षण सही माना जाता है,किंतु इसका नकारात्मक पहलू यह है कि रुद्राक्ष नष्ट हो जाता है.
- रुद्राक्ष की पहचान के लिए उसे किसी नुकिली वस्तु द्वारा कुरेदें यदि उसमे से रेशा निकले तो समझें की रुद्राक्ष असली है |
- दो असली रुद्राक्षों की उपरी सतह यानि के पठार समान नहीं होती किंतु नकली रुद्राक्ष के पठार समान होते हैं |
- एक अन्य उपाय है कि रुद्राक्ष को पानी में डालें अगर यह डूब जाए, तो असली होगा. यदि नहीं डूबता तो नकली लेकिन यह जांच उपयोगी नहीं ं मानी जाती है क्योंकि रुद्राक्ष के डूबने या तैरने की क्षमता उसके घनत्व एवं कच्चे या पके होने पर निर्भर करती है और रुद्राक्ष मेटल या किसी अन्य भारी चीज से भी बना रुद्राक्ष भी पानी में डूब जाता है |
- एक अन्य उपयोग द्वारा रुद्राक्ष के मनके को तांबे के दो सिक्कों के बीच में रखा जाए, तो थोड़ा सा हिल जाता है |
- क्योंकि रुद्राक्ष में चुंबकत्व होता है जिस की वजह से ऐसा होता है |
- कहा जाता है कि दोनो अंगुठों के नाखूनों के बीच में रुद्राक्ष को रखें यदि वह घुमता है तो असली होगा अन्यथा नकली परंतु यह तरीका भी सही नही है.
- रुद्राक्ष को खरीदने से पहले कुछ मूलभूत बातों का अवश्य ध्यान रखें जैसे की रुद्राक्ष में किडा़ न लगा हो, टूटा-फूटा न हो, पूर्ण गोल न हो, जो रुद्राक्ष छिद्र करते हुए फट जाए इत्यादि रुद्राक्षों को धारण नहीं करना चाहिए |