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कृष्णामूर्ति पद्धति किताब
श्री कृष्णामूर्ति पद्धति जी ने वैदिक और पाष्चात्य् ज्योतिष का गहन अध्धयन करके उसमे अपने कुछ नवीन शोध किए और प्राप्त निष्कर्ष को ’कृष्णामूर्ति पद्धति‘ का नाम दिया। वैदिक ज्योतिष में 27 नक्षत्र होते है। परंतु के. पी. जी ने हर नक्षत्र को नौ भागों में विभाजित किया, जिसे उन्होनें उपनक्षत्र का नाम दिया।
वैदिक ज्योतिष में अत्याधिक योग, लग्न-लग्नेष, भाव-भावेष की स्थितियों के अनुसार फलादेष किया जाता है। परंतु कृष्णामूर्ति पद्धति में उपनक्षत्रों के आधार पर फलादेष किया जाता है, जो उसे अधिक सटीक बनाते है।
कृष्णामूर्ति पद्धति में कारकतत्वों को विषेष महत्त्व दिया गया है, व मुख्यतः नक्षत्रों के आधार पर फल का वर्णन किया गया है। कृष्णामूर्ति पद्धति कुछ बातों में पारंपरिक ज्योतिष से भिन्न है, जोकि इस किताब में पूर्ण रुप से दर्षाया गया है।
Technical Specifications | |
Publisher | IIAG JYOTISH SANSTHAN |
Language | Hindi |
Item Dimensions LxWxH | 23.1 x 19.3 x 1.8 Centimeters |
Item Weight | 550g |
Binding | Paperback |
Model No. | BO01IIAG00KP |
ISBN | 978-81-958103-1-4 |
Net Quantity | Pack of 1 |
No. of Pages | 257 |
Country of Origin | India |