लहसुनिया रत्न

लहसुनिया रत्न


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लहसुनिया को अंग्रेजी में क्राइसोबेरिल कहते है| अंधकार में यह कई रंगो में जगमगाता है| ज्यादातर यह भूरें रंग में ही पाया जाता है| यह एक खनिज रत्न है| जिस तरह केतु ग्रह मनुष्य की कुण्डली में रहकर मनुष्य जीवन को प्रभावित करते है इसी प्रकार से यह रत्न भी मनुष्य के जीवन को प्रभावित करता है| यह केतु का रत्न है और इसका स्वामी केतु ग्रह है|

लाभ:

  1. लहसुनिया को धारण करने से दुःख-दरिद्रता समाप्त हो जाते है|
  2. यह रत्न काले जादू व बहुत प्रेत की बाधाओं को दूर रखने में सहायता करता है|
  3. इस रत्न को धारण करने से जातक को रात के सपने परेशान नही करते|
  4. कुण्डली के अगर दूसरे, तीसरे, चौथे, पांचवे, नवमे और दसवे भाव में यदि केतु स्थित हो तो उसके लिए लहसुनिया पहनना अच्छा होता है|
  5. केतु की महादशा और अन्तर्दशा में भी लहसुनिया धारण करना अत्यंत लाभदायक होता है|
  6. केतु अगर सुबह ग्रहों के साथ हो तो लहसुनिया धारण करना अच्छा होता है|
  7. भूत-प्रेत आदि से बहुत ज्यादा डर हो तो लहसुनिया पहनने से उनसे मुक्ति मिलती है|
  8. केतु सूर्य के साथ हो या सूर्य से दृष्ट हो तो लहसुनिया धारण करना फायदेमंद होता है|

असली रत्न की जांच कैसे करें

  • यदि लहसुनिया को किसी हड्डी पर रख दिया जाए तो 24 घंटे के अंदर यह उसके आर-पार छेद कर देता है|
  • यदि इसे अँधेरे में रखा जाए तो इससे किरणें निकलती हुई दिखाई देती है|
  • यदि इसे सफेद कपड़े में रगडा जाए तो इसकी चमक बढ़ जाती है|

रंग- स्लेटी, पीला, सफेद, हरा, भूरा

कठोरता- 7

आपेक्षिक घनत्व- 2.65

वर्तनांक – 1.544 – 1.553

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