दो मुखी

दो मुखी


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द्विमुखी रुद्राक्ष शंकर व् पार्वती के रूप में माना गया है अर्थार्त अर्धनारीश्वर रूप है। इसके प्रयोग से मनुष्य के सभी मनोरथ सिद्ध हो जाते है। कार्य तथा व्यापर में भी सफलता प्राप्त होती है। यह मोक्ष और वैभव का दाता है। शिव का यह रुद्राक्ष हर इच्छा पूरी करता है। इसे धारण करते समय ॐ नम: का जाप करना चहिए। दो मुखी रूद्राक्ष चंद्र देव का प्रतिनिधित्व करता है, चंद्र की शांति एवं उससे संबंधी पीडा़ एवं रोग से मुक्त करने में सहायक होता है। दोमुखी रूद्राक्ष को धारण करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है तथा दांपत्य जीवन में सुख, शांति प्राप्त आती है। इसे धारण करने वाले को वैभव की प्राप्ति होती है गोवध जैसे पाप से मुक्ति मिलती है।

लाभ:-

  1. इस रुद्राक्ष को धारण करने से मन को शांति मिलती है। उसका मुख्य कारण है की यह शरीर की गर्मी को अपने में खीच कर गर्मी को स्वत: बाहर फेंकता है।
  2. मसूरिका नामक दुर्दम्य रोग का नाश करने के लिए तीन दिन तक बासी जल के अनुपात से रुद्राक्ष एवम काली मिर्च समभाग एक मासे से तीन मासे तक सेवन कराने से मसूरिका रोग समूल नष्ट हो जाता है।
  3. दो मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अर्धनारीइश्वर प्रस्सन होते है।
  4. दो मुखी रुद्राक्ष दांपत्य जीवन को सुखमय बनाने के लिए लाभकारी होता है।
  5. दो मुखी रुद्राक्ष झगडों या कर्ज से मुक्ति, गृह क्लेश और समाज में सम्मान दिलाता है।
  6. यह कामनाओं को पूरा तथा उचित फल देने वाला रुद्राक्ष है।
  7. यह रुद्राक्ष कई तरह की शारीरिक बीमारियों जैसे मोटापे, हृद्य दोष आदि से मुक्ति दिलाता है।
  8. कर्क राशि के जातकों के लिए दो मुखी रुद्राक्ष लाभकारी है।

मंत्र- ॐ नम:। ॐ शक्तिभ्या नम:।

पहचान कैसे करे:-

  • रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली होगा।
  • रुद्राक्ष को काटने पर यदि उसके भीतर उतने ही घेर दिखाई दें जितने की बाहर हैं तो यह असली रुद्राक्ष होगा। यह परीक्षण सही माना जाता है,किंतु इसका नकारात्मक पहलू यह है कि रुद्राक्ष नष्ट हो जाता है।
  • रुद्राक्ष की पहचान के लिए उसे किसी नुकिली वस्तु द्वारा कुरेदें यदि उसमे से रेशा निकले तो समझें की रुद्राक्ष असली है।
  • दो असली रुद्राक्षों की उपरी सतह यानि के पठार समान नहीं होती किंतु नकली रुद्राक्ष के पठार समान होते हैं।
  • एक अन्य उपाय है कि रुद्राक्ष को पानी में डालें अगर यह डूब जाए, तो असली होगा. यदि नहीं डूबता तो नकली लेकिन यह जांच उपयोगी नहीं मानी जाती है क्योंकि रुद्राक्ष के डूबने या तैरने की क्षमता उसके घनत्व एवं कच्चे या पके होने पर निर्भर करती है और रुद्राक्ष मेटल या किसी अन्य भारी चीज से भी बना रुद्राक्ष भी पानी में डूब जाता है।
  • एक अन्य उपयोग द्वारा रुद्राक्ष के मनके को तांबे के दो सिक्कों के बीच में रखा जाए, तो थोड़ा सा हिल जाता है क्योंकि रुद्राक्ष में चुंबकत्व होता है जिस की वजह से ऐसा होता है।
  • कहा जाता है कि दोनो अंगुठों के नाखूनों के बीच में रुद्राक्ष को रखें यदि वह घुमता है तो असली होगा अन्यथा नकली परंतु यह तरीका भी सही नही है।
  • रुद्राक्ष को खरीदने से पहले कुछ मूलभूत बातों का अवश्य ध्यान रखें जैसे की रुद्राक्ष में किडा़ न लगा हो, टूटा-फूटा न हो, पूर्ण गोल न हो, जो रुद्राक्ष छिद्र करते हुए फट जाए इत्यादि रुद्राक्षों को धारण नहीं करना चाहिए।

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